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बुधवार, 25 मार्च 2009

लुभावने नारों और वादों की झमाझम बारिश

लुभावने नारों और वादों की झमाझम बारिश
हमारे वरिष्ठ जनों का कहना है कि हमें आज़ादी दिलाने में नारों और वादों का विशेष हाथ रहा है।यदि ये नारे और वादे न होते तो आज हम इन्टरनेट पर चैट न कर पाते और न ही नेता जी अपना व अपनी पार्टी का चुनाव प्रचार हाइटेक तरीके से कर पाते.इन्हीं नारों और वादों की बदौलत हमने साठ साल में अप्रतिअपनाम प्रगति की है.हम दुनिया के कई देशों से बहुत चीजों में आगे निकल गए हैं,जैसे-जनसंख्या में,अशिक्षा में,गरीबी में,बेरोज़गारी में,पर्यावरण प्रदूषण में,प्रशासनिक अव्यवस्था में,राजनीतिक अक्षमता में...ये लिस्ट आप और भी बडी कर सकते है.चुनावी मौसम की शुरूआत हो चुकी है.पचास साल से ज्यादा सत्ता सुख भोगने वाला हाथ(आम आदमी के साथ)और देश को शाइनिंग देने का वादा करने वाला कमल की पार्टी लुभावने नारों और वादों के साथ जन-गण को पाटाने निकल पडे हैं.हम ठहरे भावुक भारतीय लोग चुनाव आने से पहले वोट न डालने की कसमें खातें है,लेकिन जब चुनाव का मौसम आता है तो वोट न डालने की कसम भूल जाते हैं.जिसका नाज़ायज फायदा सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से उठाती हैं.लुभावने नारों और वादों की हो रही झमाझम बारिश में हम भावुक भारतीय भीगने को मजबूर हैं.