शुक्रवार, 27 मार्च 2009

बिन्दु में सिन्धु

बिन्दु में सिन्धु

  1. कर्त्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नही करता ।
  2. उच्च कर्म महान मस्तिष्क को सूचित करते है।
  3. मानव के कर्म ही उसके श्रेष्ठ विचारों की व्याख्या हैं ।
  4. जो अन्तर को देखता है, वाही सच्चा कलाकार है।
  5. कष्ट ह्रदय की कसौटी है।
  6. दुःख भोगने से सुख के मूल्य का ज्ञान होता है।
  7. जब क्रोध में हो तो दस बार सोचिये, जब ज्यादा क्रोधित हो तो हजार बार सोचिये।
  8. जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप से कह नहीं सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है।
  9. जीवन में प्रसन्नता के विशिस्ट तत्त्व हैं, कर्म करने के, स्नेह देने के और आशा रखने के आधार पर जीवन जीना।
  10. जो गलतियाँ नहीं करता वह प्रायः कुछ नहीं कर पाता।
  11. विवेकशील पुरूष दूसरों की गलतियों से अपनी गलती सुधारते हैं।
  12. चरित्र बिना सफलता के भी रह सकता है।
  13. चिंता से रूप,बल और ज्ञान का नाश हो जाता है।
  14. दोष निकलना सुगम है, उसे अच्छा करना कठिन।
  15. ज्ञानवान मित्र ही जीवन का सबसे बड़ा वरदान है।
  16. यदि दृढ़ मित्रता चाहते हो तो मित्र से बहस करना, उधार लेना-देना और उसकी पत्नी से बातचीत करना छोड़ दो। यही तीन बातें बिगाड़ पैदा करती हैं।
  17. धैर्य कड़वा होता है पर उसका फल मीठा होता है।
  18. जिसे धीरज है और जो मेहनत से नहीं घबराता कामयाबी उसकी दासी है।
  19. सफलता एक सफर का नाम है।
  20. लक्ष्य को ही अपना जीवन कार्य समझो। हर क्षण उसी का चिंतन करो, उसी का स्वप्न देखो। उसी के सहारे जीवित रहो।
  21. कष्ट और क्षति सहने के बाद मनुष्य अधिक विनम्र और ज्ञानी बन जाता है।
  22. मैं नरक में भी अच्छी पुस्तकों का स्वागत करूंगा, क्योंकि उनमें वह शक्ति है कि जहाँ ये होंगी वहीं स्वर्ग बन जायेगा।
  23. प्रतिभा अपनी प्रति अडिग इमानदारी को कहते हैं।
  24. प्रार्थना वाही कर सकता है जिसकी आत्मा शुद्ध हो।
  25. जो दूसरों को जानता है; वह विद्वान् है। जो स्वयं को जानता है वह बुद्धिमान है।
  26. जिसे हारने का डर है ,उसकी हार निश्चित है।
  27. डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है।
  28. अच्छे विचार रखना भीतरी सुन्दरता है।
  29. विवेक बुद्धि की पूर्णता है; जीवन के सभी कर्तव्यों में वह हमारा पथप्रदर्शक है।
  30. प्रेम सबसे करो, विश्वास कुछ पर करो, किसी का बुरा न करो।
  31. सद्विचारों से कोमल कोई तकिया नहीं है।
  32. वाही सच्चा साहसी है जो कभी निराश नहीं होता।
  33. हर अच्छा काम पहले असंभव नजर आता है।
  34. उत्साह और आशा से ही सब प्रकार का उत्पादन बढ़ता है।
  35. केवल मूर्ख और मुर्दा अपना नजरिया नहीं बदलते।

(संकलित )

10 टिप्‍पणियां:

  1. प्रबलजी वैसे भी आप बेखौफ कहने वाले पत्रकार व इन्सान हैं। जो सूक्तियां आपने प्रकाशित की हैं वह मनन के लायक व अनुकरणीय हैं।

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  2. ब्लौग-जगत में आपका स्वागत है...शुभकामनायें

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  3. जीवन के संघर्ष का इसमें छिपा निदान।
    दुख से मुक्ति मिल सके मिटा सके अज्ञान।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  4. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  5. Ye batao ki, "meree aawaaz" aaptak kaise pohonch gayee?
    Pahelee lag rahee hai...to mere "lalitlekh" blogpe sulajh jayegee...
    anek shubhkamnaonsahit swagat hai..

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  6. अच्छा लिखा है आपने , साथ ही आपका चिटठा भी खूबसूरत है । यूँ ही लिखते रहे ।

    हमें भी उर्जा मिलेगी ,

    धन्यवाद
    मयूरअपनी अपनी डगर

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