शुक्रवार, 13 जनवरी 2023

लोहड़ी यानी प्रकृति, फसल, रिश्तों में प्रेम, सद्भाव और भाईचारा का उत्सव

लोहड़ी यानी प्रकृति,फसल, रिश्तों में प्रेम, सद्भाव और भाईचारा का उत्सव

लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति (14) जनवरी के एक दिन पहले मनाया जाता है। लोहड़ी के बारे में अनेक कथाएं लोक में प्रचलित हैं। उत्तर भारत में इसे बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। कुछ लोग इस पर्व को रबी की  फसल के पकने के लिए सूर्य देव की आराधाना से जोड़ते हैं। कुछ लोग ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं को इसे मनाने का आधार मानते हैं। ग्लोबल विलेज के दौर में लोहड़ी पर्व भी विस्तृत रूप धारण कर चुका है। 

लोहड़ी क्यों और कैसे मनाते हैं, इसके बारे में जानते हैं...

  • लोहड़ी शीतकालीन संक्रांति के बाद लंबे दिनों के आगमन का उत्सव है । लोककथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में लोहड़ी पारंपरिक महीने के अंत में मनाई जाती थी, जब शीतकालीन संक्रांति होती है। जैसे-जैसे सूर्य अपनी उत्तर दिशा की यात्रा पर आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे यह दिन बड़े होने का जश्न मनाता है।
  • लोहड़ी रिश्तों की मधुरता, सुकून और प्रेम का प्रतीक है। दुखों का नाश, प्यार और भाईचारे से मिलजुल कर नफरत के बीज का नाश करने का नाम है लोहड़ी। लोहड़ी की रात परिवार और सगे-सबंधियों के साथ मिल बैठ कर हंसी-मजाक, नाच-गाना कर रिश्तों में मिठास भरने, सद्‍भावना से रहने का संदेश देती है।
  • लोहड़ी तीन अक्षरों से मिलकर बना है, ल का अर्थ है लकड़ी, ओह का अर्थ है उपला और ड़ी का अर्थ रेवड़ी से है। इन तीनों के द्वारा लोहड़ी की अग्नि जलाई जाती है।  इस पर्व के 20-25 दिन पहले ही बच्चे 'लोहड़ी' के लोकगीत गा-गाकर लकड़ी और उपले इकट्ठे करते हैं। लोहड़ीलोहड़ी मनाने के लिए लकड़ियों की ढेरी पर सूखे उपले भी रखे जाते हैं। समूह के साथ लोहड़ी पूजन करने के बाद उसमें तिल, गुड़, रेवड़ी एवं मूंगफली का भोग लगाया जाता है। इस अवसर पर ढोल की थाप के साथ गिद्दा और भांगड़ा नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं
  • लोहड़ी के दिन लोग अपने घरों के सामने अग्नि जलाते हैं। लोहड़ी के त्योहार को यादगार बनाने और इसमें मिठास घोलने के लिए कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। लोहड़ी में गुड़ और मूंगफली की चिक्की, मकई का लावा , तिल और गजक जैसे कई मिष्ठान बनाए, चढ़ाए और लोगों में बांटे जाते हैं।
  • जनवरी (January) के महीने में लोहड़ी (Lohri) पूरे देश में मनाई जाएगी। लोहड़ी एक फसल त्योहार है जो सर्दियों के अंत का प्रतीक है। जब पंजाब में रबी की फसल (Rabi Fasal) की कटाई होती है तब लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। भारत के दूसरे राज्य में लोहड़ी को मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के नाम से भी मनाया जाता है।
  • यह पर्व कृषि व प्रकृति को समर्पित होता है. इस दिन किसान अपनी नई फसलों को अग्नि में समर्पित करते हैं और भगवान सूर्यदेव को धन्यवाद अर्पित करते हैं. लोहड़ी का पर्व सुख-समृद्धि व खुशियों का प्रतीक है.

लोहड़ी के बारे में प्रचलित कहानियां

  •  पुराणों के आधार पर इसे सती के त्याग के रूप में प्रतिवर्ष याद करके मनाया जाता हैं. कथानुसार जब प्रजापति दक्ष ने अपनी पुत्री सती के पति महादेव शिव का तिरस्कार किया था और अपने जामाता को यज्ञ में शामिल ना करने से उनकी पुत्री ने अपनी आपको को अग्नि में समर्पित कर दिया था.
  •  पारंपरिक तौर पर लोहड़ी का यह त्योहार फसल की कटाई और नई फसल की बुआई के साथ जुड़ा हुआ है। लोहड़ी की आग में रेवड़ी, मूंगफली, रवि की फसल के तौर पर तिल, गुड़ आदि चीजें अर्पित की जाती हैं। मान्यता है कि इस तरह सिख समुदाय सूर्य देव और अग्नि देव का आभार व्यक्त करते हैं। 
  •  मान्यताओं के अनुसार, इस तरह सूर्य देव व अग्नि देव के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है कि उनकी कृपा से फसल अच्छी होती है और आनी वाली फसल में कोई समस्या न हो। साथ ही यह त्योहार परिवार में आने वाले नए मेहमान जैसे नई बहू, बच्चा या फिर हर साल होने वाली फसल के स्वागत के लिए मनाया जाता है।
  •  कुछ मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी को होलिका की बहन माना जाता है, जो भक्त प्रह्लाद के साथ आग से बच गई थी, जबकि अन्य मान्यताएं यह भी कहती हैं कि त्योहार का नाम संत कबीर की पत्नी लोई के नाम पर रखा गया था । इसीलिए लोग हर साल लोहड़ी उत्सव को चिह्नित करने के लिए अलाव जलाते हैं।
  •  अकबर के समय में दुल्ला भट्टी पंजाब प्रान्त का सरदार था. उसे पता चला की संदलबार (वर्तमान पाकिस्तान) में लड़कियों की बाजारी होती है. तब दुल्ला ने इस का विरोध किया और लड़कियों को दुष्कर्म से बचाया कर उनकी शादी करवा दी. इस विजय के दिन के कारण भी लोग लोहड़ी का पर्व मनाते हैं।
  •  एक अन्य कथा के अनुसार मकर संक्रांति के दिन कंस ने श्री कृष्ण को मारने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल भेजा था, जिसे श्री कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था। उसी घटना के फलस्वरूप लोहड़ी पर्व मनाया जाता है।

सिख समुदाय इसे खास तरीके से मनाता है...

 पंजाबी समाज में इस पर्व की तैयारी कई दिनों पहले ही शुरू हो जाती है। इसका संबंध मन्नत से जोड़ा गया है अर्थात जिस घर में नई बहू आई होती है या घर में संतान का जन्म हुआ होता है, तो उस परिवार की ओर से खुशी बांटते हुए लोहड़ी मनाई जाती है।



लाेहड़ी पर गाए जाने वाले गीत

सुंदर मुंदरिये...हो

तेरा कौन बेचारा, ...हो
दुल्ला भट्टी वाला, ...हो
दुल्ले घी व्याही,...हो
सेर शक्कर आई, ...हो
कुड़ी दे बाझे पाई, ...हो
कुड़ी दा लाल पटारा, ...हो
कुड़ी दा सालू पाटा ...हो
सालू कौन समेटे ...हो
चाचा चुर्री कुट्टी ...हो
जमींदारा लुट्टी ...हो
ज़मींदार सुधाये ...हो
गिण गिण पौले लाऊ...हो
इक पौला घट गया...हो
जिमेंदार नट्ठ गया...हो

----------------------

अंबियां पे अंबिया… अंबियां
लाल कणकां जमियां… अंबियां
कणकां बिच्च मुटेरे... अंबियां
दो साधू केरे...अंबियां
साधू गे कायो...अंबियां
का औया थोड़ा...अंबियां
अग्गैं मिल्ला घोड़ा...अंबियां
घोड़े उप्पर काठी...अंबियां
अग्गैं मिल्ला हाथी...अंबियां
हाथियैं फिचके दांद
मेरा नाम गोपीचंद

-----------------

दे माई लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ी , दे माई पाथी तेरा पुत्त चढ़ेगा हाथी
हुल्ले नी माइ हुल्ले
दो बेरी पत्ता झुल्ले
दो झुल्ल पयीं खजूर्राँ
खजूराँ सुट्ट्या मेवा
एस मुंडे कर मगेवा
मुंडे दी वोटी निक्कदी
ओ खान्दी चूरी कुटदी
कुट कुट भरया थाल
वोटी बावे ननदना नाल

--------------------

असी गंगा चल्ले - शावा !
सस सौरा चल्ले - शावा !
जेठ जेठाणी चल्ले - शावा !
देयोर दराणी चल्ले - शावा !
पियारी शौक़ण चल्ली - शावा !
असी गंगा न्हाते - शावा !
सस सौरा न्हाते - शावा !
जेठ जठाणी न्हाते - शावा !
देयोर दराणी न्हाते - शावा !
पियारी शौक़ण न्हाती - शावा !
शौक़ण पैली पौड़ी - शावा !
शौक़ण दूजी पौड़ी - शावा !
शौक़ण तीजी पौड़ी - शावा !
मैं ते धिक्का दित्ता - शावा !
शौक़ण विच्चे रूड़ गई - शावा !
सस सौरा रोण - शावा !
जेठ जठाणी रोण - शावा !
देयोर दराणी रोण - शावा !
पियारा ओ वी रोवे - शावा !

--------------------

 आया लोहड़ी दा त्योहार , हो आया …खुशियां खूब मनाओ यार , नच्चो -गावो वंडो प्यार , मुड़ -मुड़ आवे ऐसा वार कि आया लोहड़ी दा त्योहार . हो आया … मुंडा वोटी लैके आया , सोणी वोटी लैके आया , खुशियां खूब मनाओ यार , नच्चो – गावो वंडो प्यार , कि आया लोहड़ी दा त्योहार, हो आया … कुड़ी नूँ मस्त दूल्हा मिलया, सोणा -सोणा दूल्हा मिलया , खुशियाँ खूब मनाओ यार , नच्चो गावो वंडो प्यार , कि आया लोहड़ी दा त्योहार ,हो आया … मुंडा – कुड़ी सदा सुख पावन , तरक्की करन ते वधते जावन , जल्दी सोणा पुत्तर आवे । 



गुरुवार, 12 जनवरी 2023

उठो...जागो...और तब तक मत रुको...

 उठो...जागो...और तब तक मत रुको...


आज स्वामी विवेकानंद की जयंती है। नरेंद्र नाथ दत्त से स्वामी विवेकानंद बनने तक का सफर हम सबके लिए काफी प्रेरणादायक है। आज राष्ट्रीय  युवा दिवस भी है। भारत सरकार उनके जन्म दिन को हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप मनाती है। भारत आज सर्वाधिक युवा आबादी वाला देश है। ऐसे समय में स्वामी विवेकानंद का व्यक्तित्व और कृतित्व युवाओं के लिए मार्गदर्शक की भूमिका और महवत्वपूर्ण हो जाती है।

कहते हैं कि जब बालक युवा होता है तो उसमें असीम ऊर्जा का संचार होता है। इस ऊर्जा को अगर सही राह मिल जाए तो वह स्वयं के साथ-साथ समाज और देश के लिए हितकर साबित होती है। युवा मन के ऊर्जा को सही दिशा देने का काम स्वामी विवेकानंद के विचार से अच्छा शायद ही कोई दे पाए। 

आज स्वामी विवेकानंद की जयंती पर युवा मन के लिए कुछ उनके विचार यहां प्रस्तुत कर रहा हूं। आप पढ़ें और अपने आपको ऊर्जावान महसूस करें। 

1.जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते हैं तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते। 

2. उठो, जागो और लक्ष्य पूरा होने तक मत रुको।

3. आप जोखिम लेने से भयभीत न हो,यदि आप जीतते हैं, तो आप नेतृत्व  करते हैं और यदि हारते हैं तो आप दूसरों का मार्दर्शन कर सकते हैं।

4.   एक रास्ता खोजो, उस पर विचार करो, उस विचार को अपना जीवन बना लो, उसके बारे में सोचो, उसका सपना देखो, उस विचार पर जियो, मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, आपके शरीर के प्रत्येक भाग को उस विचार से भर दो, और किसी अन्य विचार को जगह मत दो, सफलता का यही रास्ता है।

5. अपने इरादों को मज़बूत रखो। लोग जो कहेंगे उन्हें कहने दो। एक दिन वही लोग तुम्हारा गुणगान करेंगे।

6. हम जैसा सोचते हैं बाहर की दुनिया बिलकुल वैसी ही है. हमारे विचार ही चीजों को सुंदर और बदसूरत बनाते हैं. सम्पूर्ण  संसार हमारे अंदर समाया हुआ है, बस जरूरत है तो चीजों को सही रोशनी में रखकर देखने की।

7. अनुभव ही आपका सर्वोत्तम शिक्षक है। जब तक जीवन है सीखते रहो।

8. समय का पाबंद होना, लोगों पर आपके विश्वास को बढ़ाता है।

9. जब आप व्यस्त होते हैं तो सब कुछ आसान सा लगता है परन्तु आलसी होने पर कुछ भी आसान नहीं लगता है।

10. बड़ी योजना की प्राप्ति के लिए, कभी भी ऊंची छलांग मत लगाओ। धीरे धीर शुरू करो, अपनी ज़मीन बनाये रखो और आगे बढ़ते रहो।

11. संघर्ष करना जितना कठिन होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।

12. यही आप मुझको पसंद करते हो तो, मैं आपके दिल में हूँ।  यदि आप मुझसे नफरत करते हो , तो मैं आपके मन में हूँ।

13. यदि आपके लक्ष्य मार्ग पर  कोई समस्या न आये तो आप यह सुनिश्चित करले कि आप गलत रास्ते में जा  रहे हैं।
 दिन में कम से कम एक बार खुद से जरूर बात करें अन्यथा आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति के साथ एक बैठक गँवा देंगे।

14. चिंतन करो, चिंता नहीं , नए विचारों को जन्म दो।

15. हजारों ठोकरें खाने के बाद ही एक अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। 

16. एक नायक बनो और सदैव खुद से कहो मुझे कोई डर नहीं है जैसा मैं सोच सकता हूं वैसा जीवन में जी भी सकता हूँ।

17. जीवन का रास्ता स्वयं बना बनाया नहीं मिलता। इसे बनाना पड़ता है। जिसने जैसा मार्ग बनाया उसे वैसी ही मंजिल मिलती है।

18. किसी की निंदा ना करें, अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं तो ज़रुर बढ़ाएं, अगर नहीं बढ़ा सकते तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये और उन्हें उनके मार्ग पर जाने दीजिये।

19. मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं।

20. जो तुम सोचते हो वो हो जाओगे, यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो, तुम कमजोर हो जाओगे, अगर खुद को ताकतवर सोचते हो, तुम ताकतवर हो जाओगे।

21. यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढ़ाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।

22. जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है, शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक। उसे जहर की तरह त्याग दो।

23. प्राचीन धर्मों ने कहा, “वह नास्तिक है, जो भगवान में विश्वास नहीं करता।” नया धर्म कहता है, “नास्तिक वह है जो खुद पर विश्वास नहीं करता।

24. जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता।

25. हम जो बोते हैं वही काटते हैं। हम हमारी किस्मत के खुद ही निर्माता हैं। हमारी परिस्थिति  के लिए हम किसी को भी दोषी नहीं ठहरा सकते या किसी की भी स्तुति नहीं कर सकते।

26. मौन, क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है।

27. बल ही जीवन है और दुर्बलता मृत्यु।

28. ज्ञान का प्रकाश सभी अंधेरों को खत्म कर देता है।

29. मेहनत से जीवन की हर मुश्किल से बाहर निकला जा सकता है।

30. ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।

31. उस ज्ञान उपार्जन का कोई लाभ नहीं जिसमे समाज का कल्याण न हो।

32. जीवन का रहस्य केवल आनंद नहीं बल्कि अनुभव के माध्यम से सीखना है।

33. अनेक देशों में भ्रमण करने के पश्चात् मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि संगठन के बिना संसार में कोई भी महान एवं स्थाई कार्य नहीं किया जा सकता।


बुधवार, 11 जनवरी 2023

भारतीय रेलवे ने रचा इतिहास

भारतीय रेलवे कोच उत्पादन बना 'मेक इन इंडिया' पहल का बड़ा प्रमाण, 91.6% की हुई वृद्धि

भारतीय रेलवे ने देश में कोच उत्पादन में बड़ा मुकाम हासिल किया है। दरअसल भारतीय रेलवे ने पिछले आठ वर्षों में रेल कोच उत्पादन में 91.6% की अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की है। इसे 'मेक इन इंडिया' पहल का सर्वोत्तम उदाहरण बताया जा रहा है। केवल इतना ही नहीं, स्वयं पीएम मोदी तक इसकी तारीफ कर चुके हैं।

PM मोदी ने की सराहना

PM मोदी ने ट्वीट करते हुए कोच उत्पादन में नई ऊंचाइयों के लिए भारतीय रेलवे की जमकर सराहना की है। पीएम मोदी ने पिछले आठ वर्षों में कोच उत्पादन में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए भारतीय रेलवे की सराहना की है। भारतीय रेलवे के एक ट्वीट पर पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय रेलवे का उत्कृष्ट रुझान 130 करोड़ भारतीयों की ताकत और कौशल के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को दर्शाता है।

2021-22 में 7 हजार 151 कोचों का हुआ निर्माण

उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे ने मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत पिछले 8 वर्षों में कोच उत्पादन के मामले में 91.6 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है। 2014-15 में कुल 3 हजार 731 कोच का निर्माण किया गया। 2021-22 में यह आंकड़ा 7 हजार 151 पर पहुंच गया।

आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को मिल रही मजबूती

भारतीय रेलवे ने देश में कोच उत्पादन को ऐसी तेजी प्रदान की है कि जिससे राष्ट्र के आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को प्रतिदिन मजबूती मिल रही है। आज भारत न केवल अपने लिए बल्कि विश्व के अन्य देशों के लिए भी रेल कोच का निर्माण कर रहा है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी काफी लाभ प्राप्त हो रहा है। केवल इतना ही नहीं भारतीय रेलवे पुराने रेलवे कोच को समय के साथ अपग्रेड करने का महत्वपूर्ण कार्य भी कर रही है।

भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयां

बताना चाहेंगे कि भारतीय रेलवे अपने सभी उपकरणों के निर्माण पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से करता है। भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयों में इंटीग्रल कोच फैक्‍टरी (ISF), चेन्नई, कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्‍टरी (RCF), रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्‍टरी (MCF), चित्तरंजन स्थित चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (CLW), वाराणसी स्थित बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (BLW), पटियाला स्थित पटियाला लोकोमोटिव वर्क्स (PLW), बेंगलुरु स्थित रेल व्हील फैक्‍टरी (RWF) और बेला स्थित रेल व्हील प्लांट आदि बेहतरीन रिकॉर्ड उत्पादन हासिल कर चुके हैं।

कोविड के दौरान भी होता रहा रेलवे उत्पादन

इसी प्रकार रेलवे की सभी उत्पादन इकाइयां उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। वे भारतीय रेलवे की इंजन और सवारी डिब्बों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए आपूर्ति कर रही हैं। सभी उत्पादन इकाइयों को नवीनतम एम एंड पी, शेड और सुविधाओं के रूप में आधुनिकीकरण के लिए निवेश मिलना जारी है। यहां तक कि कोविड के दौरान भी, रेलवे उत्पादन जारी रहा। इसमें रेल उत्पादन इकाइयों ने कोविड के लिए निर्धारित मानदंडों का पालन करते हुए कोचों का उत्पादन करके रेलवे क्षेत्र को सहयोग देना जारी रखा।

कोच निर्माण इकाइयां

बता दें, आईसीएफ, आरसीएफ और एमसीएफ कोच निर्माण इकाइयां हैं जो वंदे भारत, एलएचबी, ईएमयू, एमईएमयू, विस्टाडोम और अन्य अत्याधुनिक कोच बना रही हैं। यह श्रेय आईसीएफ को जाता है जिसने पहला स्वदेशी ट्रेनसेट केवल 18 महीनों में डिजाइन और निर्मित किया था। इसे T18 कहा जाता है। ऐसी दो ट्रेनें पहले से ही दिल्ली-वाराणसी और दिल्ली-कटरा के बीच चल रही हैं। अब देश में कुल 7 वंदे भारत चल रही है। पीएम मोदी की परिकल्पना के मुताबिक भारतीय रेल ने देश में 75 वंदे भारत ट्रेन शुरू करने का संकल्प लिया है जिसे वह हर हाल में पूरा करके रहेगी।

लोकोमोटिव निर्माण इकाइयां

सीएलडब्‍ल्‍यू, बीएलडब्‍ल्‍यू और पीएलडब्‍ल्‍यू लोकोमोटिव निर्माण इकाइयां हैं। आज वे उन्नत इलेक्ट्रिक इंजन यानी डब्‍ल्‍यूएजी9 और डब्‍ल्‍यूएपी7 का निर्माण कर रही हैं। इसके अलावा आरडब्‍ल्‍यूएफ और आरडब्‍ल्‍यूपी पहियों और पहियों का उत्पादन करने वाली इकाइयां हैं, जो हर प्रकार के इंजन और सवारी डिब्‍बों की आपूर्ति कर रही हैं। रेल व्हील प्लांट बेलापुर और रेल व्हील फैक्‍टरी येहलांका ने मिलकर इस वित्तीय वर्ष 2022-23 (अगस्त तक) में 92,118 पहियों का उत्पादन किया, जो 2021-22 की इसी अवधि के दौरान उत्‍पादन किए गए पहियों की तुलना में 6.5 गुना अधिक रहा। इसी प्रकार रेल एक्‍सल का उत्‍पादन भी 7 प्रतिशत बढ़ा। पिछले 8 वर्षों में कोच उत्पादन के मामले में 91.6 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज कर आज रेलवे अपनी आगे की विकास यात्रा तय कर रही है। भारत सरकार की अगले 10 वर्षों में रेलवे की मालभाड़ा बाजार हिस्सेदारी को वर्तमान के 28 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक ले जाने की महत्वाकांक्षी योजना है।
(स्रोत: पीबीएनएस)