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गुरुवार, 26 जनवरी 2023

रा-धा-स्व-आ-मी सत्संग जगत में प्रकृति पर्व बसंत पंचमी व राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस की धूम

 रा-धा-स्व-आ-मी सत्संग जगत में प्रकृति पर्व बसंत पंचमी व राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस की धूम


"ऋतु बसंत आये सतगुरु जग में, चलो चरनन पर सीस धरो री । "


अखिल विश्व रा-धा-स्व-आ-मी सत्संग परिवार ने पर्यावरण सुरक्षा-संरक्षण के संदेश के साथ पूरे विश्व में प्रकृति पर्व बसंत और राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस  हर्षोल्लास, उमंग और भक्तिभाव से मनाया। इस अवसर पर रा-धा-स्व-आ-मी सत्संग मुख्यालय दयालबाग व देश-विदेश में  स्थित इसके विभिन्न केंद्रों पर विविध धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, खेलकूद, बेबी शो सहित अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनमें सभी उम्र के सत्संगी भाई, बहनों और बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। मुख्य आयोजन राधास्वामी सत्संग मुख्यालय दयालबाग आगरा में रा-धा-स्व-आ-मी सत्संग के मुख्य आचार्य प्रोफेसर प्रेम सरन सत्संगी के सानिध्य में आयोजित हुआ। ई-कास्केड के माध्यम से हुए इसके लाइव प्रसारण से पूरे विश्व के सत्संगी भाई-बहन इससे जुड़े रहे। साथ ही उन्होंने अपने-अपने केंद्रों पर भी विविध धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया।


इस मौके पर कानपुर की सभी ब्रांच में सुबह के सत्संग व शब्द पाठ के बाद आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम व खेलकूद प्रतियोगिता में सत्संगी भाई-बहनों और बच्चों ने उत्साह से भाग लिया। विशेष बात यह रही कि कार्यक्रम के मुख्य आयोजन स्थल दयालबाग आगरा की तरह यहां पर भी प्रकृति पर्व बसंत पंचमी को सत्संगी भाई, बहनों और बच्चों ने पर्यावरण प्रेमी के तौर पर मनाया। पूरी कॉलोनी की विशेष साज-सज्जा कर उसे दुल्हन की तरह सजाया, जिसकी मनोरम छटा का आनंद लेने को बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक जुटे। इस पूरे आयोजन में पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण का खास ख्याल रखा गया। साज-सज्जा और सजावट में अधिकांशत: सौर ऊर्जा चलित एलईडी लाइट्स और बल्ब का इस्तेमाल किया गया। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले और वायु प्रदूषण फैलाने वाले दीये-मोमबत्ती इत्यादि चीजों का कतई इस्तेमाल नहीं किया गया।
 

पूर्व में हुई विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं में विजेताओं को पुरसस्कृत भी किया गया।


"आज आया बसन्त नवीन । सखी री खेलो गुरु संग फाग रचाय।।" 

माघ मास में पड़ने वाली पंचमी 'माघ सुदी पंचमी', जिसे बसंत पंचमी और ऋतुराज भी कहा जाता है, नई उत्साह, उमंग और ऊर्जा का द्योतक है । शीत ऋतु के पश्चात् बसंत ऋतु प्रारंभ होते ही मानों सभी पशु, पक्षी, मानव व वनस्पति में नई ऊर्जा, उमंग और उत्साह का संचार हो जाता है 


"देखो देखो सखी अब चल बसन्त फूल रही जहँ तहँ बसंत । । "


कानपुर गुटैया ब्रांच के सेक्रेटरी प्रेमी भाई योगेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि इस समय राधास्वामी सत्संग संवत 205 चल रहा है। बसंत पंचमी का रा-धा-स्व-आ-मी सत्संग में विशेष महत्व है, इसी दिन राधास्वामी मत के प्रथम आचार्य  परम पुरूष पूरन धनी हुजूर स्वामी जी महाराज ने 

15 फरवरी 1861 को जगत उद्धार के संदेश संग सत्संग आम जारी फरमाया। राधास्वामी मत के पांचवें आचार्य सर साहबजी महाराज ने 20 जनवरी 1915 को बसंत पंचमी के ही दिन  आगरा में राधास्वामी सत्संग मुख्यालय दयालबाग की स्थापना को शहतूत का पौधा लगा नींव रखी थी, जिसने संपूर्ण ब्रह्मांड को नई सत्संग संस्कृति से परिचित कराया। 1 जनवरी 1916 को रा-धा-स्व-आ-मी एजुकेशनल इंस्टिट्यूट (आर‌.ई.आई.) मिडिल स्कूल की स्थापना कर शिक्षा और अध्यात्म के समावेश से नई जीवन पद्धति (Way of Life) का संदेश दिया। वर्तमान में शिक्षा और अध्यात्म यह पौधा दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट समविश्वविद्यालय (Dayalbagh Educational Institute (Deemed to be University)) के रूप में वट वृक्ष बन पूरे विश्व में अपनी कीर्ति पताका फहरा रहा है।

"आज आई बहार बसंत उमंग मन गुरु चरनन लिपटाय ।।"


बसंत पंचमी के आगमन से क‌ई दिन पूर्व ही पूरे विश्व में फैला अखिल विश्व रा-धा-स्व-आ-मी सत्संग परिवार अपने-अपने केंद्रों और घरों में उत्साह, उमंग और भक्ति भाव के साथ इसके स्वागत की तैयारियां आरंभ कर देता हैं। सत्संग केंद्रों के साथ-साथ सत्संगी अपने अपने घरों की साफ-सफाई रंग रोगन के साथ उसकी विशेष सजावट करते हैं। इसमें छोटे-छोटे बच्चे नन्हें सुपरमैन से लेकर बड़े बुजुर्ग महिला और पुरुष अपना योगदान देते हैं।


और भक्तिभावपूर्ण रीति से अपने परम पूज्य गुरू महाराज के चरणों में रा-धा-स्व-आ-मी दयाल का शुकराना अदा करते हुए, भक्ति, उमंग व प्रेम-भाव संग आरती, पूजा, ध्यान व अभ्यास में  दिन को व्यतीत करते हैं।


"मोहि मिल गए रा-धा-स्व-आ-मी पूरे संत, अब बाजत हिये में धुन अनन्त"


बुधवार, 25 जनवरी 2023

74वें गणतंत्र दिवस पर इस बार होगा काफी कुछ नया

74वें गणतंत्र दिवस पर इस बार होगा काफी कुछ नया 

मिस्र देश के राष्ट्रपति होंगें मुख्य अतिथि

इस बार '26 जनवरी, 2023' को 74वां गणतंत्र दिवस समारोह बेहद खास रहने वाला है क्योंकि परेड में कई नई पहल की जाएंगी। इसलिए 2023 के आगामी गणतंत्र दिवस से जुड़ी जानकारी प्रत्येक भारतीय के लिए बेहद दिलचस्प रहेगी। इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में नारी शक्ति, आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत 'मेक इन इंडिया' योजना को प्रदर्शित किया जा रहा है। आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में...

'आत्मनिर्भर भारत' की परेड के होंगे दर्शन

गौरतलब हो इस बार परेड के दौरान दर्शकों को कई चीजें पहली बार देखने को मिलेंगी जिनमें सबसे महत्वपूर्ण होगी सेना की सभी हथियार प्रणालियां जो 'मेड इन इंडिया' हैं। यानि इस बार कर्तव्य पथ पर 'आत्मनिर्भर भारत' की परेड के दर्शन होंगे।

ब्रिटिश-युग की 25-पाउंडर तोपों की जगह लेगी इंडियन फील्ड गन्स

वहीं इस बार, 21 तोपों की सलामी देशी 105 एमएम इंडियन फील्ड गन्स से दी जाएगी, जो द्वितीय विश्व युद्ध में इस्तेमाल की जाने वाली ब्रिटिश-युग की 25-पाउंडर तोपों की जगह लेगी। हालांकि इन देशी बंदूकों का इस्तेमाल पिछले साल के स्वतंत्रता दिवस के दौरान किया गया था, लेकिन यह पहली बार है जब गणतंत्र दिवस पर इनका इस्तेमाल किया जाएगा।

नवनियुक्त अग्निवीर पहली बार परेड का हिस्सा होंगे

इस बार नवनियुक्त अग्निवीर भी पहली बार परेड का हिस्सा होंगे। ये अग्निवीर पिछले वर्ष अग्निवीर योजना के तहत देश के रक्षा के लिए सेना में भर्ती हुए थे। इस संबंध में भारतीय नौसेना का यह जानकारी साझा कर चुकी है कि इतिहास में पहली बार कर्तव्‍य पथ में मार्चिंग दस्ते में तीन महिला और पांच पुरुष अग्निवीर भी परेड में भाग लेंगे।

समारोह में अनेक नए कार्यक्रम

इसके अलावा गणतंत्र दिवस समारोह को बेहद अनोखा बनाने के लिए इस बार अनेक नए कार्यक्रम भी जोड़े गए हैं। इनमें सैन्य टैटू और जनजातीय नृत्य उत्सव, वीर गाथा 2.0, वंदे भारतम नृत्य प्रतियोगिता का दूसरा संस्करण, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर सैन्य और तटरक्षक बैंड का प्रदर्शन; राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अखिल भारतीय स्कूल बैंड प्रतियोगिता, बीटिंग द रिट्रीट समारोह के दौरान एक ड्रोन शो और प्रोजेक्शन मैपिंग इत्यादि शामिल है। कार्यक्रमों में देश की सांस्कृतिक विविधता और स्टार्टअप इकोसिस्टम और डिजिटल इंडिया के उदय को प्रदर्शित करने के लिए सैन्य टैटू और आदिवासी नृत्य उत्सव, वीर गाथा और वंदे भारतम 2.0, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अखिल भारतीय स्कूल बैंड प्रतियोगिता और बीटिंग द रिट्रीट के दौरान अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन शो और एनामॉर्फिक प्रोजेक्शन मैंपिंक कार्यक्रम तय किया गया है।

मिस्र की एक सैन्य टुकड़ी और

मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी 26 जनवरी को नई दिल्‍ली में गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे। 2022-23 में भारत की G-20 की अध्यक्षता के दौरान मिस्र को भी ‘अतिथि देश’ के रूप में आमंत्रित किया गया है। वहीं समारोह में मिस्र की सैन्‍य टुकड़ी भी भाग ले रही है। मिस्र के राष्ट्रपति समेत उनके देश का मार्चिंग दल भी परेड में भाग लेगा।

देश की रक्षा में तैनात महिला सैनिकों का दस्ता आएगा नजर

वहीं पाकिस्तान के साथ रेगिस्तानी सीमा की रक्षा करने वाली महिला सैनिक, बीएसएफ ऊंट दल का हिस्सा होंगी और रणनीतिक आधार पर तैनात एक महिला अधिकारी 'नारी शक्ति' का प्रदर्शन करने वाले नौसेना के 144 नाविकों के दल का नेतृत्व करेंगी।

नौसेना का IL-38 परेड के लिए भरेगा अपनी आखिरी उड़ान

नौसेना का जासूसी विमान आईएल-38 विमान, जिसने चार दशकों से अधिक समय तक समुद्री सेना की सेवा की, परेड के लिए अपनी आखिरी उड़ान भरने के साथ ही इतिहास की किताबों में दर्ज हो जाएगा। समुद्री टोही विमान IL-38 ने लगभग 42 वर्षों तक नौसेना की सेवा की है। इसके अलावा परेड के फ्लाई पास्ट में भाग लेने वाले 44 विमानों में नौ राफेल जेट, स्वदेश निर्मित प्रचंड, एक बहु-भूमिका, लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर भी शामिल होंगे।

लाल किले तक परेड के पारंपरिक मार्ग को पुन: किया जाएगा शुरू

दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल भवानीश कुमार ने बताया है कि परेड सुबह 10.30 बजे विजय चौक से शुरू होगी और टुकड़ी सीधे लाल किले तक मार्च करेगी। महामारी के दौरान, लाल किले तक परेड के पारंपरिक मार्ग को कोविड प्रतिबंधों के कारण बंद कर दिया गया था।

कुल 23 झांकियां परेड का बनेंगी हिस्सा

भारत की जीवंत सांस्कृतिक विरासत, आर्थिक और सामाजिक प्रगति को दर्शाने वाली कुल 23 झांकियां- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 17 और विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से छह झांकियां राजसी परेड का हिस्सा होंगी। इनके इतर इस बार नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो भी पहली बार झांकी में शामिल होने जा रहा है।
(स्रोत : पीबीएनएस)