रविवार, 15 मई 2011

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 ख्वाब एक हकीकत















ख्वाब है या कुछ और
ख्वाब ही सा लगता है.
बहरहाल, कुछ भी हो बड़ा हसीन है,
ख्वाब ही तो वो शहर है
जहां हम अपनी मर्जी के मालिक होते हैं.
ख्वाब और  हकीकत में एक 
अदना सा फासला है,
हकीकत मैं और ख्वाब आईना.
ख्वाब क्या है 
कुछ अधूरी ख्वाहिशें.
कुछ दिल में दफ़न अरमान
 कुछ आने वाले कल की तस्वीरें,
यही तो ख्वाब है!

ख्वाब देखो!
सच हो जाते हैं अक्सर ख्वाब.
आओ देखें मिलकर हम सब ख्वाब....!

हकीकत में तब्दील करने को...!!

 (लेखिका) डॉ. अमरीन फातिमा