बिलों से निकले चुनावी मेंढक
चुनावी बिगुल बज चुका है.१५वीं लोकसभा चुनाव की सभा में लोकरक्षक,लोकपालक,लोकचालक होने का दावा करने वाले आ गए हैं.बरसाती मेंढक की तरह चुनावी मौसम में सभी क्षेत्रीय व राष्टीय पार्टियों के नेता अपने-अपने बिलों से निकल आए हैं.कुछ नए दलीय व निर्दलीय मेंढक भी चुनावी बरसात में भीगने को आतुर हैं. जनता के बीच जाकर वोटों की बारिश करने के लिए मतदाताओं के पैर पखारने में जुट गए हैं.अगले पांच सालों में विकास की झमाझम बारिश करने का एक और मौका मांग रहें र्हें.सेन्शेनल नारे और इमोशनल वादों की वर्षा की सप्लाई आधुनिक संचार माध्यमों द्वारा जारी है.भावुक भारतीय मतदाता भी बरसाती मेंढकों की इमोशनल टर्र-टर्र में आकर उन्हें दुबारा मौका जरूर देगी...?फिर जीते हुए मेंढक भारत विकास का पानी पीने अपने बिलों में वापस लौट जाएंगे और फिर पांच साल बाद चुनावी बरसात में अपने बिलों से निकलेंगे...!?