शुक्रवार, 15 मई 2009

सौदागर सत्ता के

गठबंधन की राजनीति के बदलते सांचे में एक साथ रहने के लिए शर्तें मामूली कारणों से भी बदल जाती हैंपद्रहवीं लोकसभा के चुनाव में गद्दी की दौड़ में कोई पीछे नहीं रहना चाहता हैइस चुनाव के स्वरुप को विधानसभा चुनावों के रूप में परिवर्तित कर दिया है, जिसमें राष्ट्रीय मुद्दे गायब हैंहावी है तो केवल केन्द्र की सत्ता पर काबिज़ होने के लिए व्यक्तिगत जोड़-तोड़

व्यक्तिगत जोड़-तोड़ की राजनीति ने सत्ता के सौदागरों की संख्या में दुखद वृद्धि की हैदुखद इसलिए कि ये सौदागर केवल सत्ता सत्ता का सुख भोगना चाहते हैंदेश और देश कि जनता से जुड़े मुद्दे भाड़ में जाएपिछले लोकसभा चुनावों कि अपेक्षा इस बार सत्ता के सौदागरों की संख्या में भरी इज़ाफा हुआ हैकुछ नए सौदागरों का जन्म भी हुआ


पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव में किस पार्टी का ऊँट जीतकर दिल्ली में बैठेगा इसका निर्धारण क्षेत्रीय पार्टियों के सौदागर करेंगे, या फिर क्षेत्रीय पार्टियों का ही कोई घोषित ऊँट दिल्ली में बैठेगा ? जिसके लिए तीसरे और चौथे मोर्चे जैसे अवसरवादी मोर्चे की सौदेबाजी चल रही है

तीसरे और चौथे मोर्चे के सौदागरों की एक खासियत है की इसके सभी प्रमुख प्रधानमंत्री पद के प्रबल आकांक्षी हैंइस पद को पाने के लिए वे किसी भी हद तक गिर सकते हैंजैसा की धुर विरोधी रहे मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यदव, राम बिलास पासवान, मायावती, जयललिता, देवगौड़ा, प्रकाश करात, करूणानिधि, नवीन पटनायक और नए सत्ता के सौदागर टी आर० एस० प्रमुख , प्रजराज्यम के मुखिया चिरंजीवी एक दिन बाद आने वाले चुनावी नतीजों के बाद दुश्मनी को दोस्ती में तब्दील कर सकते हैं

चूंकि सत्ता के सौदागर जो मोर्चा बना रहे हैं वह किसी विचारधारा या ठोस साझा कार्यक्रम पर आधारित नहीं हैइसलिए सत्ता में भागीदारी शर्तों पर निर्भर करेगीतीसरे और चौथे मोर्चे की आर्थिक नीति क्या है ? विदेश नीति की प्राथमिकताए क्या हैं ? उनको मालूम है देश को इन सवालों के जवाब मालूम है

फिलहाल एक दिन बाद वो घड़ी आने वाली है जब सत्ता का समीकरण बहुत बदल जाने की सम्भावना हैइस समीकरण में तीसरे और चौथे मोर्चे के सौदागरों की अवसरवादिता महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी

आज तीसरे और चौथे मोर्चे के नेता असामान्य किस्म के दलाल बन गए हैंजो अपनी नैतिकता को ताक पर रखकर सत्ता के बाज़ार में पी एम० पद पाने के लिए सौदेबाजी कर रहा हैयदि वे इस सौदागरी में सफल भी हुए तो तीसरे और चौथे का हर एक सौदागर नेता अपनी ऊंची कीमत पर स्वयं का सौदा करने से गुरेज़ नहीं करेगा