गठबंधन की राजनीति के बदलते सांचे में एक साथ रहने के लिए शर्तें मामूली कारणों से भी बदल जाती हैं। पद्रहवीं लोकसभा के चुनाव में गद्दी की दौड़ में कोई पीछे नहीं रहना चाहता है। इस चुनाव के स्वरुप को विधानसभा चुनावों के रूप में परिवर्तित कर दिया है, जिसमें राष्ट्रीय मुद्दे गायब हैं। हावी है तो केवल केन्द्र की सत्ता पर काबिज़ होने के लिए व्यक्तिगत जोड़-तोड़।
व्यक्तिगत जोड़-तोड़ की राजनीति ने सत्ता के सौदागरों की संख्या में दुखद वृद्धि की है। दुखद इसलिए कि ये सौदागर केवल सत्ता सत्ता का सुख भोगना चाहते हैं। देश और देश कि जनता से जुड़े मुद्दे भाड़ में जाए। पिछले लोकसभा चुनावों कि अपेक्षा इस बार सत्ता के सौदागरों की संख्या में भरी इज़ाफा हुआ है। कुछ नए सौदागरों का जन्म भी हुआ।
पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव में किस पार्टी का ऊँट जीतकर दिल्ली में बैठेगा इसका निर्धारण क्षेत्रीय पार्टियों के सौदागर करेंगे, या फिर क्षेत्रीय पार्टियों का ही कोई घोषित ऊँट दिल्ली में बैठेगा ? जिसके लिए तीसरे और चौथे मोर्चे जैसे अवसरवादी मोर्चे की सौदेबाजी चल रही है।
तीसरे और चौथे मोर्चे के सौदागरों की एक खासियत है की इसके सभी प्रमुख प्रधानमंत्री पद के प्रबल आकांक्षी हैं। इस पद को पाने के लिए वे किसी भी हद तक गिर सकते हैं। जैसा की धुर विरोधी रहे मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यदव, राम बिलास पासवान, मायावती, जयललिता, देवगौड़ा, प्रकाश करात, करूणानिधि, नवीन पटनायक और नए सत्ता के सौदागर टी० आर० एस० प्रमुख , प्रजराज्यम के मुखिया चिरंजीवी एक दिन बाद आने वाले चुनावी नतीजों के बाद दुश्मनी को दोस्ती में तब्दील कर सकते हैं।
चूंकि सत्ता के सौदागर जो मोर्चा बना रहे हैं वह किसी विचारधारा या ठोस साझा कार्यक्रम पर आधारित नहीं है। इसलिए सत्ता में भागीदारी शर्तों पर निर्भर करेगी। तीसरे और चौथे मोर्चे की आर्थिक नीति क्या है ? विदेश नीति की प्राथमिकताए क्या हैं ? न उनको मालूम है न देश को इन सवालों के जवाब मालूम है।
फिलहाल एक दिन बाद वो घड़ी आने वाली है जब सत्ता का समीकरण बहुत बदल जाने की सम्भावना है। इस समीकरण में तीसरे और चौथे मोर्चे के सौदागरों की अवसरवादिता महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।
आज तीसरे और चौथे मोर्चे के नेता असामान्य किस्म के दलाल बन गए हैं। जो अपनी नैतिकता को ताक पर रखकर सत्ता के बाज़ार में पी० एम० पद पाने के लिए सौदेबाजी कर रहा है। यदि वे इस सौदागरी में सफल न भी हुए तो तीसरे और चौथे का हर एक सौदागर नेता अपनी ऊंची कीमत पर स्वयं का सौदा करने से गुरेज़ नहीं करेगा।
Sahee aur sateek vishleshan. Badhaaee.
जवाब देंहटाएंआपका कहना सौ प्रतिशत सही है
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं सहित
aise hi chintano ki zaroorat hai samaj ko. badhaiyaa.
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