बुधवार, 11 जनवरी 2023

भारतीय रेलवे ने रचा इतिहास

भारतीय रेलवे कोच उत्पादन बना 'मेक इन इंडिया' पहल का बड़ा प्रमाण, 91.6% की हुई वृद्धि

भारतीय रेलवे ने देश में कोच उत्पादन में बड़ा मुकाम हासिल किया है। दरअसल भारतीय रेलवे ने पिछले आठ वर्षों में रेल कोच उत्पादन में 91.6% की अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की है। इसे 'मेक इन इंडिया' पहल का सर्वोत्तम उदाहरण बताया जा रहा है। केवल इतना ही नहीं, स्वयं पीएम मोदी तक इसकी तारीफ कर चुके हैं।

PM मोदी ने की सराहना

PM मोदी ने ट्वीट करते हुए कोच उत्पादन में नई ऊंचाइयों के लिए भारतीय रेलवे की जमकर सराहना की है। पीएम मोदी ने पिछले आठ वर्षों में कोच उत्पादन में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए भारतीय रेलवे की सराहना की है। भारतीय रेलवे के एक ट्वीट पर पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय रेलवे का उत्कृष्ट रुझान 130 करोड़ भारतीयों की ताकत और कौशल के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को दर्शाता है।

2021-22 में 7 हजार 151 कोचों का हुआ निर्माण

उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे ने मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत पिछले 8 वर्षों में कोच उत्पादन के मामले में 91.6 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की है। 2014-15 में कुल 3 हजार 731 कोच का निर्माण किया गया। 2021-22 में यह आंकड़ा 7 हजार 151 पर पहुंच गया।

आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को मिल रही मजबूती

भारतीय रेलवे ने देश में कोच उत्पादन को ऐसी तेजी प्रदान की है कि जिससे राष्ट्र के आत्मनिर्भर बनने के संकल्प को प्रतिदिन मजबूती मिल रही है। आज भारत न केवल अपने लिए बल्कि विश्व के अन्य देशों के लिए भी रेल कोच का निर्माण कर रहा है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी काफी लाभ प्राप्त हो रहा है। केवल इतना ही नहीं भारतीय रेलवे पुराने रेलवे कोच को समय के साथ अपग्रेड करने का महत्वपूर्ण कार्य भी कर रही है।

भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयां

बताना चाहेंगे कि भारतीय रेलवे अपने सभी उपकरणों के निर्माण पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से करता है। भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयों में इंटीग्रल कोच फैक्‍टरी (ISF), चेन्नई, कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्‍टरी (RCF), रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्‍टरी (MCF), चित्तरंजन स्थित चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (CLW), वाराणसी स्थित बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (BLW), पटियाला स्थित पटियाला लोकोमोटिव वर्क्स (PLW), बेंगलुरु स्थित रेल व्हील फैक्‍टरी (RWF) और बेला स्थित रेल व्हील प्लांट आदि बेहतरीन रिकॉर्ड उत्पादन हासिल कर चुके हैं।

कोविड के दौरान भी होता रहा रेलवे उत्पादन

इसी प्रकार रेलवे की सभी उत्पादन इकाइयां उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। वे भारतीय रेलवे की इंजन और सवारी डिब्बों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए आपूर्ति कर रही हैं। सभी उत्पादन इकाइयों को नवीनतम एम एंड पी, शेड और सुविधाओं के रूप में आधुनिकीकरण के लिए निवेश मिलना जारी है। यहां तक कि कोविड के दौरान भी, रेलवे उत्पादन जारी रहा। इसमें रेल उत्पादन इकाइयों ने कोविड के लिए निर्धारित मानदंडों का पालन करते हुए कोचों का उत्पादन करके रेलवे क्षेत्र को सहयोग देना जारी रखा।

कोच निर्माण इकाइयां

बता दें, आईसीएफ, आरसीएफ और एमसीएफ कोच निर्माण इकाइयां हैं जो वंदे भारत, एलएचबी, ईएमयू, एमईएमयू, विस्टाडोम और अन्य अत्याधुनिक कोच बना रही हैं। यह श्रेय आईसीएफ को जाता है जिसने पहला स्वदेशी ट्रेनसेट केवल 18 महीनों में डिजाइन और निर्मित किया था। इसे T18 कहा जाता है। ऐसी दो ट्रेनें पहले से ही दिल्ली-वाराणसी और दिल्ली-कटरा के बीच चल रही हैं। अब देश में कुल 7 वंदे भारत चल रही है। पीएम मोदी की परिकल्पना के मुताबिक भारतीय रेल ने देश में 75 वंदे भारत ट्रेन शुरू करने का संकल्प लिया है जिसे वह हर हाल में पूरा करके रहेगी।

लोकोमोटिव निर्माण इकाइयां

सीएलडब्‍ल्‍यू, बीएलडब्‍ल्‍यू और पीएलडब्‍ल्‍यू लोकोमोटिव निर्माण इकाइयां हैं। आज वे उन्नत इलेक्ट्रिक इंजन यानी डब्‍ल्‍यूएजी9 और डब्‍ल्‍यूएपी7 का निर्माण कर रही हैं। इसके अलावा आरडब्‍ल्‍यूएफ और आरडब्‍ल्‍यूपी पहियों और पहियों का उत्पादन करने वाली इकाइयां हैं, जो हर प्रकार के इंजन और सवारी डिब्‍बों की आपूर्ति कर रही हैं। रेल व्हील प्लांट बेलापुर और रेल व्हील फैक्‍टरी येहलांका ने मिलकर इस वित्तीय वर्ष 2022-23 (अगस्त तक) में 92,118 पहियों का उत्पादन किया, जो 2021-22 की इसी अवधि के दौरान उत्‍पादन किए गए पहियों की तुलना में 6.5 गुना अधिक रहा। इसी प्रकार रेल एक्‍सल का उत्‍पादन भी 7 प्रतिशत बढ़ा। पिछले 8 वर्षों में कोच उत्पादन के मामले में 91.6 प्रतिशत से अधिक की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज कर आज रेलवे अपनी आगे की विकास यात्रा तय कर रही है। भारत सरकार की अगले 10 वर्षों में रेलवे की मालभाड़ा बाजार हिस्सेदारी को वर्तमान के 28 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक ले जाने की महत्वाकांक्षी योजना है।
(स्रोत: पीबीएनएस)

बुधवार, 4 जनवरी 2023

पानी बचाएगा जवानी!


 पानी पीने से जल्दी नहीं आएगा बुढ़ापा 

- अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के शोध में दावा

- 36 साल में 11255 लोगों पर किया गया शोध

- 64 प्रतिशत तक बढ़ जाता है मधुमेह, दिल की बीमारी का खतरा कम पानी पीने से 

ये बात हम सब जानते हैं कि पानी पीना हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। पर, क्या आप जानते हैं कि भरपूर मात्रा में पानी पीते रहने से आपका जल्द बुढ़ापा नहीं आएगा। यही नहीं पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहने से कई बीमारियों से आप बचे रहते हैंं। ये दावा अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों ने किया है। इस संस्थान के वैज्ञानिकों का यह शोध विज्ञान की पत्रिका ईबायोमेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। 

- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की प्रमुख शोधार्थी नतालिया दिमित्रिवा का कहना है कि शोध के परिणाम बताते हैं कि उचित मात्रा में पानी पीने से जीवन रोग-मुक्त होता है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। जिससे बुढ़ापा देर से आता है। 

- उनका कहना है कि हमारे सामने सबसे बड़ी चुनाती यह है कि ऐसे कौन से उपाय खोजें जिससे जल्दी बुढ़ापा आने की प्रक्रिया को धीमा किया जा सके। 

- ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि उम्र संबंधित बीमारियां अब तेजी से उभर रही हैं।

36 साल तक 11255 लोगों पर किया गया अध्ययन ः यह अध्ययन 11255 लोगों पर किया गया।

- इस अध्ययन में सन 1987 से इन लोगों के पानी पीने की आदतों के आंकड़े जुटाए जा रहे थे।

- इस शोध में हिस्सा लेने वाले इन लोगों की उम्र उस समय 40 से 50 साल की थी। अब औसत आयु 76 वर्ष हो चुकी है।



सोडियम बढ़ा तो 15 साल जीवन कम ः चूहों पर पहले किए जा चुके एक शोध के परिणामों के आधार पर शोधार्थियों ने पाया कि कम मात्रा में पानी पीने से बुढ़ापा आने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। 

- इस अध्ययन में चूहों को जीवन भर कम पानी दिया गया था।

- इससे चूहों में पांच मीलीमोल प्रति लीटर सोडियम बढ़ गया और उनका जीवनकाल छह महीने कम हो गया। 

- ताजा निष्कर्ष ये कहते हैं कि चूहों की तुलना में मनुष्य का जीवन इससे 15 साल तक कम हो सकता है। 

- सोडियम को रक्त के जरिए मापा जा सकता है। 

- कम पानी पीने से सोडियम की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है। 

- 3.7 लीटर पानी प्रतिदिन पुरुषों को पीना चाहिए। 

- 2.7 लीटर पानी प्रतिदिन महिलाओं को पीना चाहिए।

- 20 प्रतिशत पानी की कमी फल और पेय पदार्थ पूरा करते हैं।

- पानी की कमी से त्वचा सूखने लगती है।

- पेशाब में जलन, पीला आदि समस्याएं होने लगती हैं।

- मुंह से दुर्गंध आने लगती है।

- सिरदर्द, आलस्य और सुस्ती बढ़ने लगती है।

- खून गाढ़ा होने लगता है जिससे दिल पर असर पड़ता है।

स्रोत ः हिंदुस्तान, कानपुर, 04-01-2023 (पेज-14)

शनिवार, 1 दिसंबर 2018

आप बच्चे को क्या बनाना चाहते हैं?

प्रकृति ने सभी पंछियों की संरचना लगभग एक जैसी बनाई दो पैर दो पंजे चार से पांच अंगुलियों गर्दन और दो पंख
ऐसा कोई पंछी नहीं है जिसके चार पंख होते हैं!!!
लेकिन इन सबसे अलग हटकर एक नया मुकाम हासिल किया बाज नामक पक्षी ने जिसे हम ईगल या शाहीन भी कहते हैं जिस उम्र में बाकी परिन्दों के बच्चे चिचियाना सीखते हैं उस उम्र में एक मादा बाज अपने चूजे को पंजे मे दबोच कर सबसे ऊंचा उड़ जाती है ध्यान रहे पक्षियों की दुनिया में ऐसी Tough and tight training किसी और की नही होती।
गणित यानी चाल दूरी और वेग के दृष्टिकोण से देखें तो मादा बाज अपने चूजे को लेकर लगभग 12 किलोमीटर (A highest distance from earth where a natural creature can fly) ऊपर ले जाती है। हमारी आपकी "सोच" से बहुत ऊपर जितने ऊपर अमूमन जहाज उड़ा करते हैं और वह दूरी तय करने में मादा बाज 7 से 9 मिनट का समय लेती है।
उस मुकाम पर पहुंचकर वह एक परिस्थिति में स्थिर हो जाती है!!!!! और फिर यहां से शुरू होती है उस नन्हें चूजे की "कठिन परीक्षा" उसे अब यहां बताया जाएगा कि तू किस लिए पैदा हुआ है!!
तेरी दुनिया क्या है तेरी ऊंचाई क्या है तेरा धर्म बहुत ऊंचा है और फिर मादा बाज उसे अपने पंजों से छोड़ देती है.......
धरती की ओर ऊपर से नीचे आते वक्त लगभग 2 किलोमीटर उस चूजे को हवा नहीं होती कि उसके साथ क्या हो रहा है 7 किलोमीटर के अंतराल के आने के बाद उस चूजे के पंख जो कंजाइन से जकड़े होते हैं वह खुलने लगते हैं.....
लगभग 9 किलोमीटर आने के बाद उनके पंख पूरे खुल जाते हैं यह जीवन का पहला दौर होता है जब बाज का बच्चा पंख फड़फड़ाता है...
अब धरती से वह लगभग 3000 मीटर दूर है लेकिन अभी वह उड़ना नहीं सीख पाया है, अब बिल्कुल करीब आता है धरती के जहां से वह देख सकता है उसके स्वामित्व को अब उसकी दूरी धरती से बचती है महज 7 से 800 मीटर लेकिन उसका पंख अभी इतना मजबूत नहीं हुआ है की वो उड़ सके।
धरती से लगभग 4 से 500 मीटर दूरी पर उसे अब लगता है कि उसके जीवन की शायद अन्तिम यात्रा है फिर अचानक से एक पंजा उसे आकर अपनी गिरफ्त मे लेता है और अपने पंखों के दरमियान समा लेता है।
यह पंजा उसकी मां का था जो ठीक उसके उपर चिपक कर उड़ रही थी .....
और यह बाज के चूजे की पहली ट्रेनिंग थी और ये निरन्तर तब तक चलती रहती है जब तक कि उसका बच्चा उड़ना नहीं सीख जाता
ये ट्रेनिंग बिल्कुल एक कमांडो की तरह होती है High pressure and maximum risk... तब जाकर दुनिया को एक शाहीन/बाज़ मिलता है
जो आसमां की दुनिया का अघोषित बादशाह होता है
फिर एक समय आता है जब शाहीन अपने से दस गुना अधिक वजनी प्राणी का शिकार करता है.....
हिन्दी मे एक कहावत है
"बाज़ के बच्चे मुंगेर पर नही उड़ते"
अपनों बच्चों को चिपका कर रखिए पर एक शाहीन की तरह उन्हें दुनियां की मुश्किलों से रूबरू कराइए...
उन्हे लड़ना सिखाइए बिना आवश्यकता के संघर्ष करना सिखाइए......
ये टीवी के रियलिटी शो और अंग्रेजी स्कूल के बसों ने मिल कर आप के बच्चों को बाॅइलर मुर्गे जैसा बना दिया है जिसके पास मजबूत टंगड़ी तो है पर चल नही सकता वजनदार पंख तो है पर उड़ नही सकता......
पंख तो सड़क के किनारे कटने वाले मुर्गों के भी देती है प्रकृति!
फैसला करिए आपके बच्चे क्या बनेंगे???

शनिवार, 13 अक्तूबर 2018

विद्वान और विद्यावान में अंतर

*रावण विद्वान था जबकि हनुमान जी, विद्यावान थे, एक  रोचक कथा*

विद्वान और विद्यावान में अन्तर:   *विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥* एक होता है विद्वान और एक विद्यावान । दोनों में आपस में बहुत अन्तर है। इसे हम ऐसे समझ सकते हैं, रावण विद्वान है और हनुमान जी विद्यावान हैं। रावण के दस सिर हैं । चार वेद और छह: शास्त्र दोनों मिलाकर दस हैं । इन्हीं को दस सिर कहा गया है । जिसके सिर में ये दसों भरे हों, वही दस शीश हैं । रावण वास्तव में विद्वान है । लेकिन विडम्बना क्या है ? सीता जी का हरण करके ले आया ।कईं बार विद्वान लोग अपनी विद्वता के कारण दूसरों को शान्ति से नहीं रहने देते । उनका अभिमान दूसरों की सीता रुपी शान्ति का हरण कर लेता है और हनुमान जी उन्हीं खोई हुई सीता रुपी शान्ति को वापिस भगवान से मिला देते हैं ।

हनुमान जी ने कहा — *विनती करउँ जोरि कर रावन । सुनहु मान तजि मोर सिखावन ॥* हनुमान जी ने हाथ जोड़कर कहा कि मैं विनती करता हूँ, तो क्या हनुमान जी में बल नहीं है ? नहीं, ऐसी बात नहीं है । विनती दोनों करते हैं, जो भय से भरा हो या भाव से भरा हो । रावण ने कहा कि तुम क्या, यहाँ देखो कितने लोग हाथ जोड़कर मेरे सामने खड़े हैं । *कर जोरे सुर दिसिप विनीता । भृकुटी विलोकत सकल सभीता ॥* यही विद्वान और विद्यावान में अन्तर है । हनुमान जी गये, रावण को समझाने । यही विद्वान और विद्यावान का मिलन है ।

रावण के दरबार में देवता और दिग्पाल भय से हाथ जोड़े खड़े हैं और भृकुटी की ओर देख रहे हैं । परन्तु हनुमान जी भय से हाथ जोड़कर नहीं खड़े हैं । रावण ने कहा भी — *कीधौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही । देखउँ अति असंक सठ तोही ॥* रावण ने कहा – “तुमने मेरे बारे में सुना नहीं है ? तू बहुत निडर दिखता है !”

हनुमान जी बोले – “क्या यह जरुरी है कि तुम्हारे सामने जो आये, वह डरता हुआ आये ?” रावण बोला – “देख लो, यहाँ जितने देवता और अन्य खड़े हैं, वे सब डरकर ही खड़े हैं ।” हनुमान जी बोले – “उनके डर का कारण है, वे तुम्हारी भृकुटी की ओर देख रहे हैं ।” *भृकुटी विलोकत सकल सभीता ।* परन्तु मैं भगवान राम की भृकुटी की ओर देखता हूँ । उनकी भृकुटी कैसी है ? बोले *— भृकुटी विलास सृष्टि लय होई । सपनेहु संकट परै कि सोई ॥* जिनकी भृकुटी टेढ़ी हो जाये तो प्रलय हो जाए और उनकी ओर देखने वाले पर स्वप्न में भी संकट नहीं आए । मैं उन श्रीराम जी की भृकुटी की ओर देखता हूँ ।
रावण बोला – “यह विचित्र बात है । जब राम जी की भृकुटी की ओर देखते हो तो हाथ हमारे आगे क्यों जोड़ रहे हो ? *विनती करउँ जोरि कर रावन ।* हनुमान जी बोले – “यह तुम्हारा भ्रम है । हाथ तो मैं उन्हीं को जोड़ रहा हूँ ।”

रावण बोला – “वह यहाँ कहाँ हैं ?” हनुमान जी ने कहा कि “यही समझाने आया हूँ । मेरे प्रभु राम जी ने कहा था — *सो अनन्य जाकें असि मति न टरइ हनुमन्त । मैं सेवक सचराचर रुप स्वामी भगवन्त ॥* भगवान ने कहा है कि सबमें मुझको देखना । इसीलिए मैं तुम्हें नहीं, तुझमें भी भगवान को ही देख रहा हूँ ।” इसलिए हनुमान जी कहते हैं — *खायउँ फल प्रभु लागी भूखा । और सबके देह परम प्रिय स्वामी ॥* हनुमान जी रावण को प्रभु और स्वामी कहते हैं और रावण — *मृत्यु निकट आई खल तोही । लागेसि अधम सिखावन मोही ॥*
रावण खल और अधम कहकर हनुमान जी को सम्बोधित करता है । *यही विद्यावान का लक्षण है कि अपने को गाली देने वाले में भी जिसे भगवान दिखाई दे, वही विद्यावान है ।*

*विद्यावान का लक्षण है —*
*विद्या ददाति विनयं । विनयाति याति पात्रताम् ॥* पढ़ लिखकर जो विनम्र हो जाये, वह विद्यावान और जो पढ़ लिखकर अकड़ जाये, वह विद्वान । तुलसी दास जी कहते हैं — *बरसहिं जलद भूमि नियराये । जथा नवहिं वुध विद्या पाये ॥* जैसे बादल जल से भरने पर नीचे आ जाते हैं, वैसे विचारवान व्यक्ति विद्या पाकर विनम्र हो जाते हैं । इसी प्रकार हनुमान जी हैं – विनम्र और रावण है – विद्वान । *यहाँ प्रश्न उठता है कि विद्वान कौन है ?* इसके उत्तर में कहा गया है कि जिसकी दिमागी क्षमता तो बढ़ गयी, परन्तु दिल खराब हो, हृदय में अभिमान हो, वही विद्वान है और अब *प्रश्न है कि विद्यावान कौन है ?* उत्तर में कहा गया है कि जिसके हृदय में भगवान हो और जो दूसरों के हृदय में भी भगवान को बिठाने की बात करे, वही विद्यावान है ।

हनुमान जी ने कहा – “रावण ! और तो ठीक है, पर तुम्हारा दिल ठीक नहीं है । कैसे ठीक होगा ? कहा कि — *राम चरन पंकज उर धरहू । लंका अचल राज तुम करहू ॥* अपने हृदय में राम जी को बिठा लो और फिर मजे से लंका में राज करो । यहाँ हनुमान जी रावण के हृदय में भगवान को बिठाने की बात करते हैं, इसलिए वे विद्यावान हैं ।

*सीख : विद्वान ही नहीं बल्कि “विद्यावान” बनने का प्रयत्न करें*

  🌹🌹कॉपी पेस्ट🌹🌹