ग़ज़ल
जबसे बड़ों ने बड़प्पन छोड़ दिया
बच्चों ने सम्मान करना छोड़ दिया.
बंद कमरों में ज्ञान किसको मिला है
बच्चों ने अब कक्षा में बैठना छोड़ दिया.
बड़े होने की तमन्ना में
बच्चों ने बचपना छोड़ दिया.
वैश्वीकरण ने ऐसा मौसम बदला
बच्चों ने घर का खाना छोड़ दिया
बराबरी के सिंहासन की होड़ में
सबने विनम्रता का गहना छोड़ दिया.
कैसे गुजरेगी उम्र की आखिरी शाम " प्रताप "
अपनों ने सहनशीलता ओढ़ना छोड़ दिया.
प्रबल प्रताप सिंह
happy janmashtmi.
जवाब देंहटाएंWWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
Sono ji aapko bhi janmashtmi ki hardik shubhkaamnaaen...!!
जवाब देंहटाएंजबसे बड़ों ने बड़प्पन छोड़ दिया
जवाब देंहटाएंबच्चों ने सम्मान करना छोड़ दिया.
बहुत ही खूबसूरत पक्ति....उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई
वैश्वीकरण जैसे कठिन श्ब्द का भी इस गज़ल मे सुन्दर प्रयोग है ।
जवाब देंहटाएंVijay ji or Sharad ji Comments ke liey shukria...!!
जवाब देंहटाएंbahut achchi.
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